एक ही तथ्य है और एक ही सत्य; दूसरे की कल्पना ही दुःख है || आचार्य प्रशांत (2015)

2019-11-30 1

वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
६ मार्च २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
तथ्य और सत्य में क्या समानता है?
मन इतनी क्रोध, घृणा से क्यों भरा रहता है?
किसी भी विचार का आना कहाँ से निर्धारित होता है?
मन पर आकर कोई भी विचार क्यों छा जाता है?

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